मध्यप्रदेश के किसान इस साल प्रकृति और बीमारी के दोहरे संकट से जूझ रहे हैं। पहले से ही कम बारिश के कारण परेशान किसानों को अब येलो मोजैक वायरस ने बुरी तरह प्रभावित किया है। इस वायरस के कारण सोयाबीन की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति पर गंभीर संकट मंडरा रहा है।
मध्यप्रदेश के खंडवा और रतलाम समेत निमाड़ व मालवा क्षेत्र के कईं किसानों के लिए इस साल सोयाबीन की फसल एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। देरी से हुई बारिश और लगातार बढ़ती उमस के बीच पीला मोजेक वायरस (Yellow Mosaic Virus) और इलियों और अन्य कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है, जिससे हजारों एकड़ में उगाई गई फसल बर्बाद होने की कगार पर है।
क्या है पीला मोजेक वायरस?
पीला मोजेक वायरस एक खतरनाक बीमारी है, जो सफेद मक्खी (Whitefly) और थ्रिप्स जैसे कीटों के माध्यम से फैलती है। इसके संक्रमण से सोयाबीन के पत्ते पीले पड़ने लगते हैं, पौधे की वृद्धि रुक जाती है और अंततः फसल सूखकर नष्ट हो जाती है। खंडवा जिले में करीब 70,000 से 80,000 हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती होती है, जिसमें से 10-20% फसल पहले ही इस वायरस की चपेट में आ चुकी है।
रतलाम, मंदसौर और नीमच जिलों में भी यही स्थिति देखी जा रही है, जहां किसानों ने बर्बाद हो चुकी फसल को ट्रैक्टर चलाकर रौंदना शुरू कर दिया है। किसान सुरेश पाटीदार (रतलाम) बताते हैं, “हमारे गांव में ज्यादातर फसलें इस वायरस से प्रभावित हो गई हैं, लेकिन फसल बीमा के लिए कोई सहायता नहीं मिल रही।”
कृषि विशेषज्ञों की सलाह
कृषि सलाहकार सुनील पटेल (खंडवा) के अनुसार, “इस वायरस से बचाव के लिए सफेद मक्खी पर नियंत्रण जरूरी है। किसानों को एसिटामिप्रिड 20% डब्ल्यूएसपी (10 ग्राम प्रति पंप) और प्रोपिकोनाजोल (50 ग्राम प्रति पंप) का छिड़काव करना चाहिए।”
वहीं, रतलाम की कृषि उपसंचालक नीलम सिंह का कहना है कि “पुरानी किस्में (जैसे JS 9560) इस वायरस की चपेट में जल्दी आती हैं, इसलिए किसानों को उन्नत बीजों का उपयोग करना चाहिए।”
किसानों की मांग: मुआवजा और बीमा राहत
रतलाम जिले के एक दर्जन से अधिक गांवों के किसानों ने सरकार से मांग की है कि:
- तुरंत फसल सर्वेक्षण कराया जाए।
- फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा दिया जाए।
- बीमा कंपनियों को पारदर्शी तरीके से क्लेम प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए।
हालांकि, किसानों का आरोप है कि बीमा कंपनियां टोल-फ्री नंबर पर संपर्क करने पर भी पॉलिसी नंबर मांग रही हैं, जबकि अधिकांश किसानों को अपने बीमा की कोई जानकारी ही नहीं मिली है।
निष्कर्ष
इस वर्ष सोयाबीन की फसल पर पीला मोजेक वायरस का हमला किसानों के लिए एक बड़ा झटका है। समय रहते सही कीटनाशकों का उपयोग और सरकारी सहायता से ही इस संकट से निपटा जा सकता है। कृषि विभाग को चाहिए कि वह किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाए और तकनीकी सहायता प्रदान करे, ताकि आने वाले समय में ऐसी समस्याओं से बचा जा सके।












