सोयाबीन किसानों को माला-माल बना रही सोयाबीन की ये नई किस्में

By Shankar Aanjana

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सोयाबीन

सोयाबीन के गिरते दाम और कम होते उत्पादन के चलते सोयाबीन किसानों के लिए सोयाबीन की खेती लगातार घाटे का सौदा साबित हो रही है , मध्यप्रदेश के कईं किसानों ने सोयाबीन की खेती से मुह मोड़ने का निर्णय बना लिया है परंतु उनके पास सोयाबीन का कोई उचित विकल्प ना होने के चलते वह मजबूरी मे इसकी खेती कर रहे है ।

नई सोच वाले किसान कैसे कमा रहे हैं मुनाफा?

कईं किसान ऐसे भी है जो गिरते दामों मे भी सोयाबीन (soybean) की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे है , वह उत्पादन और भाव दोनों मे अन्य किसानों की तुलना मे बेहतर प्रदर्शन कर रहे है , नई – नई किस्मों new soybean variety की खेती कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर रहे है साँथ ही उन्ही किस्मों को मंडी भाव से दौ-गुनी कीमत पर बैच रहे है ऐसे मे उन किसानों के लिए सोयाबीन soybean की खेती लाभ का धंधा बनी हुई है |

क्षेत्र अनुसार सोयाबीन की उन्नत किस्में

प्रति वर्ष कृषि वैज्ञानिक सोयाबीन की नवीन किस्मों (new soybean variety) पर शौध कर किसानों के लिए अनुशंसित किस्में तय्यार करते रहते है, इसी कड़ी मे हम आगे सोयाबीन की उन्नत किस्मों के बारे मे क्षेत्र अनुसार चर्चा करेंगे, जो कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा किसानों के लिए अनुशंसित किस्में है –

देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए अनुसंशित किस्में

अनुशंसित क्षेत्रसोयाबीन किस्में
मध्यक्षेत्र – सम्पूर्ण मध्यप्रदेश,राजस्थान,गुजरात,उत्तरप्रदेश का बुंदेलखंड भाग और उत्तर पश्चिमी महाराष्ट्र :JS 2172, JS 24-33, JS 23-03, JS 20-69, JS 23-09, JS 22-12, JS 22-16,RVSM 2011-35, NRC 142, NRC 150, NRC 165, NRC 157, MACS 1520,RSC 10-46, RSC 10-52, MAUS 731, Gujarat Soya 4, MAUS 725 (maharashtra*),Phule Durva (KDS 992), AMS 100-39 (PDKV Amba), AMS-MB-5-18(Suvarn Soya)
पूर्वी क्षेत्र – छत्तीसगढ़,झारखंड, बिहार, उड़ीसा एंव पश्चिम बंगाल , एवं उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र : असम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड व सिक्किमRSC 10-71, RSC 10-52, Birsa Soya – 4 (jharakhand), MACS 1407, MACS 1460, NRC 128, RSC 11-07 and RSC 10-46
उत्तर मैदानी क्षेत्र – पंजाब , हरियाणा, दिल्ली , उत्तर प्रदेश के पूर्वी मैदानी भाग , मैदानी उत्तराखंड व पूर्वी बिहारPusa Soybean 21, NRC 149, Pant soybean 27, PS 1670, SL 1074, SL 1028, NRC 128, Uttarakhand Black Soybean (Bhat 202-Uttarakhand) SL 979, SL 955, Pant Soybean 26 (PS 1572), PS 1368, PS 1368, PS 24 (PS 1477), VLS 89

ऊपर दी गई किस्मों का चुनाव कर किसान सोयाबीन की खेती मे अच्छा लाभ ले सकते है, ऊपर दी गई सभी किस्में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अनुमोदित की गई किस्में है, जो कीटों एंव रोगों के प्रति सहनशील और अन्य किस्मों की तुलना मे अधिक रोग प्रतिरोधी किस्में है

सोयाबीन की बुआई से पहले अंकुरण परीक्षण और बीज उपचार क्यों जरूरी है?

1. अंकुरण परीक्षण अवश्य करें

सोयाबीन की सफल खेती की शुरुआत अच्छी अंकुरण क्षमता वाले बीजों से होती है। यदि बीज पुराने, क्षतिग्रस्त या खराब भंडारण वाले हैं, तो कम अंकुरण होगा और पौध संख्या घट जाएगी, जिससे उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा।

कैसे करें अंकुरण परीक्षण?

  • 100 बीज गीले कपड़े या पेपर टॉवल पर रखें।
  • नमी बनाए रखें और 3–5 दिन तक निरीक्षण करें।
  • यदि 85 बीज या उससे अधिक अंकुरित हो जाएं, तो बीज उत्तम हैं।
  • अगर अंकुरण दर 80% से कम हो तो बीज बदल दें या बीज दर बढ़ाएं

2. बीज उपचार – बीमारियों से बचाव और फसल की सुरक्षा

सोयाबीन में शुरुआती अवस्था में फफूंदी, जड़ सड़न, बीज जनित रोग बहुत आम हैं। इनसे बचाव के लिए बीज को फफूंदनाशक और कीटनाशक से उपचारित करना जरूरी है।

बीज उपचार के 3 चरण:

1. फफूंदनाशक से उपचार (Fungicide)

  • थाइरम या कार्बेन्डाजिम + मैंकोजेब (2–3 ग्राम/किलो बीज)

2. कीटनाशक से उपचार (Insecticide)

  • इमिडाक्लोप्रिड 600 FS (5 मिली/किलो बीज)

3. राइजोबियम जैविक कल्चर (Rhizobium inoculation)

  • बीज को जैव उर्वरक (Rhizobium japonicum) से उपचारित करें – इससे नाइट्रोजन स्थिरीकरण बढ़ता है

ध्यान दें: रासायनिक उपचार और जैविक कल्चर को अलग-अलग समय पर करें (24 घंटे का अंतर रखें)।

सोयाबीन का समर्थन मूल्य 2025-26

सोयाबीन के एमएसपी को 4892 रुपये से बढ़ाकर 5328 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है. इसमें 436 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है, जो पिछले वर्षों की तुलना में थोड़ी अधिक मानी जा सकती है. सरकार के अनुसार, सोयाबीन की अनुमानित लागत 3552 रुपये प्रति क्विंटल है, जिस पर 50 प्रतिशत लाभ मार्जिन जोड़ा गया है.

सोयाबीन समर्थन मूल्य 2025 265328 रुपये प्रति क्विंटल

वर्षवार सोयाबीन समर्थन मूल्य (MSP)

वर्षसमर्थन मूल्य (MSP)
2013-14₹2,560
2020-21₹3,880
2021-22₹3,950
2022-23₹4,300
2023-24₹4,600
2024-25₹4,892
2025-26₹5,328

2025-26 के लिए सरकार ने MSP ₹5,328/q तय किया है, जो कि उत्पादन लागत ₹3,552/q पर आधारित है।

इसका अर्थ है कि सरकार ने किसानों को 50% लाभ मार्जिन सुनिश्चित किया है — यह C2 लागत (कृषि मूल्य आयोग द्वारा गणना की गई लागत) पर आधारित है।

2013-14 से तुलना करें तो MSP दोगुना से अधिक हो चुका है (₹2,560 → ₹5,328/q)।

हालांकि, मंडियों में मिलने वाला वास्तविक भाव MSP से नीचे रहना किसानों के लिए चिंता का विषय है।

सोयाबीन उत्पादन बढ़ाने के 5 वैज्ञानिक उपाय

1. प्रमाणित और उन्नत किस्मों का चयन करें

उपज बढ़ाने की पहली शर्त सही बीज है।

  • केवल प्रमाणित बीज या ICAR द्वारा अनुशंसित उन्नत किस्में ही चुनें।
  • क्षेत्र के अनुसार JS 23-09, JS 21-72, NRC 150, NRC 142, MACS 1407 आदि जैसी हाई-यील्डिंग और रोग-प्रतिरोधी किस्में चुने
  • बीज शोधन (बीजोपचार) ज़रूर करें ताकि फफूंदी व अन्य बीमारियों से बचाव हो।

2. वैज्ञानिक तरीके से बुआई और उचित समय

समय पर बुआई से 15-20% ज्यादा उपज मिल सकती है।

  • आदर्श बुआई का समय 20 जून से 5 जुलाई तक माना जाता है (मानसून की शुरुआत में)।
  • बीज दर: 75-80 किलो/हेक्टेयर
  • कतार से कतार की दूरी: 30-45 सेमी, पौधों के बीच की दूरी: 5-7 सेमी

3. संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन (उर्वरक प्रबंधन)

अतिरिक्त नहीं, संतुलित खाद दें – उत्पादन भी बढ़ेगा, खर्च भी घटेगा।

  • प्रारंभिक खाद (per hectare):
    • नाइट्रोजन (N): 20 किग्रा
    • फास्फोरस (P): 60 किग्रा
    • पोटाश (K): 40 किग्रा
  • सल्फर: 20 किग्रा/हेक्टेयर (उत्पादन और तेल प्रतिशत बढ़ाने के लिए आवश्यक)
  • जिंक और बोरोन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी जांच करें।

4. जल प्रबंधन और खरपतवार नियंत्रण

90% किसान खरपतवार से 25-30% उपज खो देते हैं।

  • खरपतवार नियंत्रण के लिए Pendimethalin या Imazethapyr जैसे शाकनाशियों का छिड़काव करें (बुआई के 2-3 दिन के भीतर)।
  • आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें:
    • फूल आने पर
    • फली बनने पर
    • दाना भरने पर

5. कीट और रोग प्रबंधन (समेकित कीट प्रबंधन – IPM)

समय रहते कीटों पर नियंत्रण ही उत्पादन का सुरक्षा कवच है।

  • मुख्य कीट: चित्तीदार इल्ली, पत्ती खाने वाली इल्ली, तना मक्खी
    • नियंत्रण: Spinosad, Emamectin Benzoate आदि का उपयोग
  • रोग: पत्तियों का झुलसा, पीला मोज़ेक वायरस
    • नियंत्रण: रोग-प्रतिरोधी किस्में, बीजोपचार, और तांबा आधारित फफूंदनाशक

अतिरिक्त सुझाव:

  • फसल चक्र अपनाएं – सोयाबीन के बाद गेहूं या चना उगाएं
  • मृदा परीक्षण करवा कर उर्वरकों का उपयोग करें
  • कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या कृषि अधिकारी से तकनीकी सलाह लेते रहें
  • मंडी पर निर्भरता घटाकर सीधी बिक्री, FPOs, या प्रोसेसिंग यूनिट्स से जुड़ें