सतपुड़ा की वादियों में चमक रहा छिंदवाड़ा का ग्रामीण पर्यटन
मध्यप्रदेश के सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में बसा छिंदवाड़ा जिला अब पर्यटन (tourist spot) में तेजी से उभर रहा है। यहां के पर्यटन-ग्राम ग्रामीण जीवन, जनजातीय संस्कृति, पहाड़ी ट्रैकिंग और लोक नृत्य का अद्भुत संगम पेश कर रहे हैं। पिछले दो वर्षों में बने होम-स्टे न सिर्फ स्थानीय युवाओं को रोजगार दे रहे हैं बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान भी बना रहे हैं।
ग्रामीण पर्यटन परियोजना से मिली नई दिशा
मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड के तहत ग्रामीण पर्यटन परियोजना संचालित की जा रही है। इसका उद्देश्य पर्यटकों को गांव की संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली का अनुभव कराना है। इसी पहल के तहत प्रदेश के 100 गांवों को पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित किया जा रहा है। chhindwara tourist spot के लिए छिंदवाड़ा के 12 गांव चुने गए हैं, जिनमें से सात गांव – सावरवानी, देवगढ़, काजरा, गुमतरा, चोपना, चिमटीपुर और धूसावानी – में 36 होम-स्टे पर्यटकों के लिए खोले जा चुके हैं।
होम-स्टे से बदली तस्वीर
इन होम-स्टे ने गांव की अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा दी है। हर सप्ताह हजारों की संख्या में देश-प्रदेश के सैलानी यहां पहुंच रहे हैं। ग्रामीण परिवार अब गाइड, लोकनृत्य मंडली, भजन प्रस्तुति और बैलगाड़ी संचालन के जरिए आय अर्जित कर रहे हैं। इससे युवाओं में शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़े हैं और जनजातीय परिवारों का पलायन भी थमा है।

हर पर्यटन ग्राम की अलग पहचान
छिंदवाड़ा के हर पर्यटन ग्राम की अपनी खासियत है।
- भोपाल मार्ग पर चोपना गांव, जहां देवना नदी साल के घने जंगलों के बीच बहती है।
- पातालकोट की रहस्यमयी वादियों से घिरा चिमटीपुर गांव।
- पेंच नेशनल पार्क के पास ऑफबीट डेस्टिनेशन गुमतरा।
- देवगढ़ का ऐतिहासिक गोंड किला।
- काजरा का बांधान डेम और उसके बेकवॉटर्स।
- धूसावानी का चौरागढ़ महादेव मंदिर और आम के बागान।
पर्यटक यहां सिर्फ प्राकृतिक नजारों का आनंद ही नहीं लेते, बल्कि गाय का दूध दोहना, खेतों में काम करना और पहाड़ियों पर ट्रैकिंग जैसी गतिविधियों में भी शामिल होते हैं। शाम को ढोलक-मंजीरे की थाप पर भजन और कर्मा नृत्य मंडलियां सैलानियों को जनजातीय लोकसंस्कृति से रूबरू कराती हैं।
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सतत ग्रामीण विकास का मॉडल
छिंदवाड़ा अब केवल पर्यटन स्थल नहीं रहा, बल्कि सतत ग्रामीण विकास का एक राष्ट्रीय मॉडल बनकर सामने आ रहा है। यहां के होम-स्टे ने साबित किया है कि यदि सही दिशा और अवसर मिले तो गांव भी रोजगार, संस्कृति और पर्यटन का केंद्र बन सकते हैं।












