फसल बीमा योजना से नाराज किसान वापस प्रधानमंत्री को लौटा रहे बीमा राशि

By shivani gupta

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खंडवा जिले के कई किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बेहद नाराज हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने हजारों रुपए प्रीमियम भरने के बाद भी बीमा कंपनियों से नाममात्र का क्लेम प्राप्त किया है। कहीं प्रीमियम से भी कम राशि किसानों के खाते में आई तो कई किसानों को बीमा क्लेम मिला ही नहीं।

खंडवा जिले का मामला

ग्राम मोरदड़ के किसान राजेंद्र प्रजापति बताते हैं कि वर्ष 2024 में उन्होंने 21 एकड़ में सोयाबीन बोई थी। उस साल बारिश कम होने से फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कराया था, जिसमें 6 हजार रुपए की राशि उनके बैंक खाते से प्रीमियम के रूप में कटी। केंद्र और राज्य सरकार के योगदान के साथ मिलाकर यह प्रीमियम 30 हजार रुपए हुआ।

उनका अनुमान था कि 21 एकड़ से करीब 140 क्विंटल सोयाबीन उत्पादन होता, जिसका बाजार मूल्य लगभग 7 लाख रुपए बैठता। लेकिन बीमा कंपनी की ओर से उन्हें मात्र 1274 रुपए का क्लेम मिला। राजेंद्र का कहना है कि इतनी कम राशि तो निकालने में भी शर्म आती है। उनका आरोप है कि योजना किसानों के साथ छलावा बनकर रह गई है।

इसीलिए उन्होंने खाते मे आए 1274 रुपये की डी डी बनाकर वापस प्रधानमंत्री तक डाक द्वारा पँहुचाने का फैसला किया है,

अन्य किसानों के अनुभव

ग्राम अत्तर के किसान अनिल कन्हैयालाल ने बताया कि उनकी 15 एकड़ जमीन पर बीमा कराया गया था। उन्होंने 4570 रुपए प्रीमियम दिया, लेकिन क्लेम के रूप में सिर्फ 1387 रुपए मिले। इसी तरह अन्य किसानों—कन्हैयालाल, गंगालाल, कमलचंद नत्थू, शुभम कमलचंद और राकेश नत्थू—का कहना है कि उनके हजारों रुपए प्रीमियम कटे, मगर बीमा राशि नाम मात्र की आई या फिर बिल्कुल नहीं मिली।

रोहिणी (जावर) गांव के हरेसिंह चौहान ने बताया कि 17 एकड़ जमीन के लिए 5500 रुपए प्रीमियम अदा किया गया था। सरकार का अंशदान जोड़कर यह राशि लगभग 27,500 रुपए होती है। लेकिन खाते में जो क्लेम आया, वह सिर्फ 2575 रुपए रहा। कुछ रकबों के लिए तो 19 और 25 रुपए तक का क्लेम दिया गया, जबकि फसल पूरी तरह नष्ट हो गई थी।

राष्ट्रीय किसान-मजदूर संघ के मंत्री त्रिलोकचंद पटेल ने भी बीमा क्लेम प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि उन्होंने 2650 रुपए का बीमा कराया था, लेकिन क्लेम के रूप में उन्हें एक भी रुपया नहीं मिला।

जिले में बीमा की स्थिति

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खंडवा जिले में कुल लगभग डेढ़ लाख किसान हैं। इनमें से करीब 30 हजार किसान हर साल बीमा करवाते हैं। पिछले खरीफ सीजन 2024 में लगभग 80 हजार किसानों ने बीमा कराया था। इस बार करीब 10,408 किसानों को साढ़े तीन करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। हालांकि कई किसानों का कहना है कि क्लेम राशि प्रीमियम से भी कम है।

केवल खंडवा नहीं प्रदेश के कईं जिलों में नाराजगी

यह समस्या केवल खंडवा जिले तक सीमित नहीं है। मध्यप्रदेश के कई अन्य जिलों में भी किसानों ने बीमा क्लेम को लेकर नाराज़गी जताई है। अधिकांश किसानों का आरोप है कि उन्होंने प्रीमियम भरने के बावजूद क्लेम राशि या तो बहुत कम मिली या फिर बिल्कुल नहीं मिली। कई स्थानों पर किसान संगठनों ने जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन भी किए हैं और बीमा कंपनियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया है।

बीमा कंपनी का पक्ष

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के जिला प्रबंधक राहुल सोनी ने बताया कि कुछ किसानों को तकनीकी कारणों से कम राशि मिली है। कई मामलों में अभी प्रक्रिया जारी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही तकनीकी समस्याओं को दूर कर प्रभावित किसानों को पूरा बीमा भुगतान कराया जाएगा।

किसान संगठनों का आरोप

संयुक्त कृषक संगठन के प्रवक्ता जय पटेल ने कहा कि बीमा योजना किसानों के लिए राहत बननी चाहिए थी, लेकिन कंपनियों और सरकार की मिलीभगत से यह किसानों के साथ मजाक साबित हो रही है। उन्होंने इसे किसानों के साथ किया गया छलावा बताया।

बीमा योजना की मूल प्रक्रिया

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ फसलों पर किसान को अधिकतम 2% प्रीमियम भरना होता है। रबी के लिए यह 1.5% और बागवानी या व्यावसायिक फसलों के लिए 5% तय है। बाकी प्रीमियम का आधा-आधा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकार उठाती हैं।
यदि किसान की फसल प्राकृतिक आपदा से खराब होती है तो वह 72 घंटे के भीतर टोल-फ्री नंबर 14447 पर शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके बाद सर्वे कर नुकसान का आकलन किया जाता है और उसी आधार पर बीमा क्लेम जारी किया जाता है।


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