नमस्कार,
सभी किसान साँथियो का एक बार फिर स्वागत है आपके अपने विश्वशनीय कृषि पोर्टल ‘कृषिखबर24‘ पर इस लेख में हम जानेंगे सोयाबीन के हानिकारक किट और उनके प्रभावी वैज्ञानिक प्रबंधन के बारे में |
पिछले लेख मे हमने नीला भ्रंग Blue Beetle, तना मक्खी Stem Fly, अलसी की इल्ली linseed Caterpillar, पत्ति सुरंगकर Leaf Miner, चक्र भ्रंग / रिंग कटर Girdle Beetle और अर्धकुण्डलक इल्ली Semi-looper आदि कीटों के बारे मे चर्चा की और उनके प्रबंधन के बारे मे जाना ,
आगे इस लेख मे हम बाकी बचे सोयाबीन हानिकाराक कीटों के बारे मे चर्चा करेंगे जो निम्न प्रकार है :
सोयाबीन के हानिकारक किट
| सोयाबीन के हानिकारक किट | वैज्ञानिक नाम | अंग्रेजी नाम |
|---|---|---|
| तम्बाकू इल्ली | Spodoptera litura | Tobacco cutworm |
| चने की इल्ली | Helicoverpa armigera | Gram Pod Borer |
| बिहारी कैटरपिलर | spilarctia obliqua | Bihar Hairy Caterpillar |
| पत्ती मोड़क इल्ली | hedylepta indicata | soybean Leaf Folder |
| स्लेटी घुन | myllocerus undecimpustulatus maculosus | Grey Weevil |
| सफेद मक्खी | Bemisia tabaci | Whitefly |
| हरा बदबूदार मत्कुण | Nezara viridula | Green Stink Bug |
तम्बाकू इल्ली / Tobacco Caterpillar
वैज्ञानिक नाम : Spodoptera litura
तम्बाकू इल्ली,जो पहले केवल तम्बाकू की फसल को नुकसान पहुँचाती थी, अब सोयाबीन सहित कई प्रमुख फसलों की भी दुश्मन बन चुकी है। इस कीट की खास बात यह है कि इसकी इल्लियाँ जैसे-जैसे बड़ी होती हैं, इन पर कई कीटनाशकों का असर कम हो जाता है।

वयस्क पतंगा हल्के मटमैले भूरे रंग का होता है, जिसके ऊपरी पंखों पर टेढ़ी-मेढ़ी सफेद रेखाएँ और निचले पंख बिल्कुल सफेद होते हैं। एक मादा पतंगा अपने जीवन काल में 1200 से 2000 अंडे तक दे सकती है, जो वह पत्तियों की निचली सतह पर समूह में देती है और उन्हें अपने शरीर से निकले रेशों से ढंक देती है।
नुकसान की पहचान
इस इल्ली का आक्रमण शुरू में पत्तियों की ऊपरी परत को खुरचने से होता है, जिससे पत्तियाँ सफेद और पारदर्शी दिखने लगती हैं। धीरे-धीरे ये इल्लियाँ पूरी पत्तियों को जाल-जैसा बना देती हैं, और बड़े होने पर खेत में फैलकर सोयाबीन की पत्तियों को चट करना शुरू कर देती हैं। इस कारण पौधों की बढ़वार भी रुक जाती है और उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है।
प्रकोप की अवधि और परिस्थिति
इस कीट का प्रकोप खेत में तब अधिक होता है जब पत्तियाँ घनी होती हैं। अंडों से निकलीं इल्लियाँ शुरू में एक ही पत्ती पर रहकर खुरचन करती हैं, फिर बढ़ते चरण में पूरे खेत में फैल जाती हैं। शंखी बनने की प्रक्रिया भूमि पर गिरी हुई पत्तियों में होती है।
किट प्रबंधन उपाय
प्राकृतिक नियंत्रण:
- खेत में अधिक घनत्व वाली बुवाई से बचें।
- प्रति एकड़ 8–10 बर्ड पर्च लगाएँ ताकि पक्षी प्राकृतिक रूप से इन इल्लियों को खा सकें।
- 4–5 फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें लेकिन सेप्टा को सीधे हाथ न लगाएं।
- खेत की नियमित निगरानी करें और झुंड में दिखने वाली इल्लियों को तुरंत नष्ट करें।
जैविक नियंत्रण:
- शुरुआती अवस्था में SLNPV, Bacillus thuringiensis या Beauveria bassiana आधारित कीटनाशकों का 1 ली./हे. या 1 कि.ग्रा./हे. की दर से छिड़काव करें।
रासायनिक नियंत्रण :
- Chlorantraniliprole 18.5 SC @ 150 मि.ग्रा./हे.
- Spinetoram 11.7 SC @ 450 मि.ली./हे.
- Flubendiamide 39.35 SC @ 500 मि.ली./हे.
- Quinalphos @ 1.5 ली./हे.
- Indoxacarb @ 333 मि.ली./हे.
ध्यान दें: प्रत्येक छिड़काव में कम से कम 500 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें।
चने की फलीछेदक इल्ली / Gram Pod Borer
वैज्ञानिक नाम: Helicoverpa armigera
अंग्रेजी नाम: Gram Pod Borer
ग्राम फल छेदक एक ऐसा बहुफसल भक्षी कीट है जो आज भारत ही नहीं, पूरे विश्व में एक बड़ी चुनौती बन चुका है। पहले यह चना, कपास, अरहर, भिन्डी, मूंगफली, टमाटर, तंबाकू, मूंग और उड़द जैसी फसलों को नुकसान पहुँचाता था, लेकिन अब यह मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में सोयाबीन फसल पर भी प्रमुख रूप से दिखाई देने लगा है।

इसका वयस्क पतंगा मटमैले भूरे या हल्के कत्थई रंग का होता है, जिसकी पंखों पर आड़ी-तिरछी बादामी धारियाँ और निचले सफेद पंखों के किनारों पर काले घेरे होते हैं। इसकी इल्लियाँ रंग-रूप में काफी विविध होती हैं — कोई हरी, कोई पीली, तो कोई कत्थई या नारंगी-पीली दिखाई देती है, सभी पर लम्बवत धारियाँ पाई जाती हैं।
नुकसान की पहचान :
इस कीट की इल्लियाँ पहले फसल की पत्तियाँ खाकर नुकसान पहुंचाती हैं, फिर जैसे ही पौधे फूलों और फलियों की अवस्था में आते हैं, ये सीधे फूलों और छोटी फलियों पर हमला करती हैं।
फलियों में दाना भरने के समय ये इल्लियाँ फली को छेद कर उसके अंदर का पूरा दाना खा जाती हैं। अधिक प्रकोप की स्थिति में फसल में अफलन (फल न बनना) की समस्या तक उत्पन्न हो जाती है।
प्रकोप की अवधि और परिस्थिति :
चना फल छेदक का प्रकोप आमतौर पर फसल के फूल आने और फल बनने की अवस्था में अधिक होता है। कमजोर मॉनिटरिंग या घनी बुवाई वाले खेतों में यह कीट तेजी से फैलता है।
किट प्रबंधन
प्राकृतिक नियंत्रण उपाय:
- खेत में पौधों की दूरी लगभग 0.4 मीटर/हेक्टेयर बनाए रखें।
- प्रति एकड़ 4–5 फेरोमोन जाल और 8–10 बर्ड पर्च लगाएँ ताकि पक्षियों द्वारा इल्लियों का प्राकृतिक नियंत्रण हो सके।
- खेत की निगरानी करें और अंडों या छोटी इल्लियों के झुंड दिखने पर तुरंत जैविक छिड़काव करें।
जैविक नियंत्रण:
- Helicoverpa NPV (HANPV) @ 250 लीटर/हे.
- Bacillus thuringiensis (Bt) आधारित कीटनाशक @ 1 ली./हे. या 1 कि.ग्रा./हे.
रासायनिक नियंत्रण :
- Chlorantraniliprole 18.5 SC @ 150 मि.ग्रा./हे.
- Spinetoram 11.7 SC @ 450 मि.ली./हे.
- Flubendiamide 39.35 SC @ 500 मि.ली./हे.
- Quinalphos @ 1.5 ली./हे.
- Indoxacarb @ 333 मि.ली./हे.
छिड़काव करते समय 500 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर का उपयोग करें और पहले छिड़काव के 10–15 दिन बाद दूसरा आवश्यकतानुसार करें।
बिहार हेयरी केटरपिलर / Bihar Hairy Caterpillar
वैज्ञानिक नाम: Spilosoma obliqua
अन्य नाम: लाल बालदार इल्ली / Hairy Caterpillar
बिहार हेरी केटरपिलर एक बालदार इल्ली होती है जो खासतौर पर सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुँचाती है। यह कीट मुख्य रूप से महाराष्ट्र, उत्तर पर्वतीय तराई क्षेत्र, और मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में देखने को मिलता है। वर्षा ऋतु में इसका प्रकोप तेज़ी से बढ़ता है और कई बार खेत का बड़ा हिस्सा प्रभावित हो जाता है।

इसकी वयस्क अवस्था में पतंगे के पंख हल्के पीले और पेट (उदर) का रंग गुलाबी होता है, जिस पर छोटे-छोटे काले धब्बे नज़र आते हैं। शुरू की अवस्था में इल्लियाँ मटमैले पीले रंग की होती हैं, जो बड़ी होने पर लाल-भूरे रंग की हो जाती हैं। खास बात यह है कि इनके शरीर पर लंबे, घने और मोटे बाल होते हैं, जो इन्हें दूसरी इल्लियों से अलग बनाते हैं।
नुकसान के लक्षण
इस कीट की जीवन शैली काफी हद तक तंबाकू की इल्ली (Spodoptera litura) जैसी होती है।
ग्रसित पौधे को नजदीक से देखने पर ही इसकी सही पहचान हो पाती है। शुरू में जब ये इल्लियाँ झुंड में होती हैं, तब ये पौधों की पत्तियों को पूरी तरह खुरच देती हैं। हरे पत्तों की जगह सिर्फ सफेद झिल्लीनुमा ढांचा रह जाता है। तेज प्रकोप में पूरा खेत जैसे झुलस गया हो ऐसा प्रतीत होता है।
प्रकोप :
यह कीट फसल की प्रारंभिक से मध्य अवस्था तक अधिक सक्रिय रहता है। गर्म और नमी वाले मौसम में इनका प्रजनन तेज हो जाता है।
नियंत्रण उपाय
प्राकृतिक नियंत्रण:
- जैसे ही पौधों के तनों पर सूखे हिस्से या झुलसे पत्ते दिखें, उन्हें नीचे से काट कर नष्ट कर देना चाहिए।
- प्रारंभिक अवस्था में जब इल्लियाँ झुंड में हों, उस समय ग्रसित पौधों को खेत से निकाल कर जला देना या गड्ढे में गाड़ देना प्रभावी उपाय है।
- खेत की नियमित निगरानी करना बेहद जरूरी है, ताकि समय रहते नियंत्रण किया जा सके। यह उपाय अगर 10–15 दिन में दो बार कर लिया जाए तो प्रभावी नियंत्रण संभव है।
रासायनिक या जैविक नियंत्रण (यदि आवश्यक हो):
- चूंकि यह कीट तंबाकू की इल्ली की तरह ही नुकसान करता है, इसलिए उसी तरह के जैविक कीटनाशक जैसे एसएलएनपीवी या बैसिलस थुरिंजिनसिस, का उपयोग किया जा सकता है।
- प्रारंभिक अवस्था में जैविक कीटनाशकों से बेहतर नियंत्रण संभव है।
पत्ती मोड़क कीट (Leaf Folder)
वैज्ञानिक नाम: hedylepta indicata
अन्य नाम: लीफ फोल्डर / पत्ती चिपकाने वाली इल्ली
पत्ती मोड़क कीट मुख्यतः सोयाबीन की फसल में बाद की अवस्थाओं में पाया जाता है, खासकर जब खेत में कई दिनों से बारिश न हुई हो। यह कीट पत्तियों को मोड़कर उनके अंदर हरे भाग को खुरचता है, जिससे पौधे की प्रकाश संश्लेषण क्षमता घट जाती है और फसल की बढ़वार रुक जाती है।

पहचान कैसे करें?
- इसका वयस्क कीट पीले रंग का पतंगा होता है, जिसके पंखों पर भूरी-काली लहरदार रेखाएं होती हैं।
- इल्ली की शरीर चमकीले हरे रंग की होती है, जिसका सिर नारंगी रंग का होता है और शरीर मध्य से थोड़ा मोटा दिखता है।
- पत्तियों को खोलने पर अंदर इल्ली के साथ उसकी विष्ठा (कीट मल) भी साफ दिख जाती है।
यह कीट फसल को कैसे नुकसान पहुँचाता है?
- इल्ली एक या एक से अधिक पत्तियों को आपस में चिपका कर या मोड़ कर अंदर ही हरे भाग को खुरचती है।
- इस प्रक्रिया में पत्ती का हरा भाग नष्ट हो जाता है और पत्तियाँ बंद और सूखी हुई दिखाई देती हैं।
- अत्यधिक प्रकोप की स्थिति में पौधों की वृद्धि रुक जाती है, और दानों की गुणवत्ता एवं उत्पादन दोनों पर बुरा असर पड़ता है।
प्रकोप की अवधि और परिस्थिति
- इस कीट का प्रकोप फसल की बाद की अवस्था में देखने को मिलता है।
- विशेष रूप से तब जब लगातार सूखा पड़ा हो या वर्षा लंबे समय से न हुई हो।
प्राकृतिक एवं जैविक नियंत्रण:
- यह कीट निशाचर होता है और प्रकाश स्रोत की ओर आकर्षित होता है।
इस प्रवृत्ति का लाभ उठाने के लिए खेत की चारों ओर प्रकाश-प्रपंच (Light Trap) लगाएं।
इससे पतंगे आकर्षित होकर वहीं फँस जाते हैं और मर जाते हैं।
रासायनिक नियंत्रण की आवश्यकता आमतौर पर नहीं होती, पर यदि प्रकोप अधिक हो तो विशेषज्ञ की सलाह से उचित कीटनाशक का प्रयोग किया जा सकता है।
ग्रे वीविल / Gray Weevil
ग्रे वीविल जिसका वैज्ञानिक नाम (myllocerus undecimpustulatus maculosus) है यह एक कठोर शरीर वाला कीट है जिसकी लंबाई लगभग 5 से 6 मिमी तक होती है। इसके पंख स्लेटी रंग के होते हैं जिन पर काले धब्बे होते हैं। इसकी श्रंगिकाएं मुड़ी हुई और आगे की ओर मोटी दिखाई देती हैं, जिससे इसे पहचानना आसान होता है।

सोयाबीन की फसल मे ग्रे वीविल / Gray Weevil से नुकसान:
यह कीट मूल रूप से कपास का प्रमुख कीट है, लेकिन अब उत्तरी भारत में सोयाबीन को भी नुकसान पहुंचाने लगा है। यह पत्तियों के बाहरी किनारों को कुतर-कुतर कर खाता है, जो इसकी प्रमुख पहचान है। अधिक संख्या में होने पर यह कलिकाओं और फूलों को भी क्षति पहुँचाता है, जिससे फसल की उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
प्रकोप की स्थिति:
इसकी उपस्थिति विशेषकर उत्तरी भारत के क्षेत्रों में देखी गई है, जहां कपास के साथ-साथ अब सोयाबीन फसल पर भी इसका असर दिख रहा है।
प्रबंधन:
इस कीट से बचाव के लिए खेतों के किनारों पर प्रकाश प्रपंच (Light Trap) लगाना उपयोगी रहता है क्योंकि इसके वयस्क पतंगे निशाचर होते हैं और प्रकाश स्रोत की ओर आकर्षित होते हैं।
रासायनिक नियंत्रण हेतु:
- क्विनालफॉस @ 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर
- या इंडॉक्साकार्ब @ 333 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर
इनका 500 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें।
सफेद मक्खी / White Fly (Bemisia tabaci)
सफेद मक्खी एक छोटी, रस चूसने वाली मक्खी है जिसका आकार लगभग 2 से 3 मिमी होता है। यह विशेषकर दिल्ली, पंजाब और तराई क्षेत्रों में सोयाबीन फसल की प्रमुख कीट है। इसके शिशु पैर रहित, अण्डाकार आकार के होते हैं और पत्ती की निचली सतह पर चिपके रहते हैं।

सोयाबीन की फसल मे सफेद मक्खी से नुकसान:
यह कीट सोयाबीन फसल को तीन तरह से नुकसान पहुंचाता है। पहला, वयस्क और शिशु दोनों रस चूसते हैं, जिससे पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं, पौधों की वृद्धि रुक जाती है और फूल-फलियाँ गिरने लगती हैं। दूसरा, यह कीट एक चिपचिपा पदार्थ छोड़ता है जो पत्तियों की ऊपरी सतह पर जम जाता है, जिस पर काली फफूंद पनपती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है। तीसरा, यह वयस्क मक्खी “पीला मोज़ाइक रोग” फैलाने वाले विषाणु का वाहक होती है, जिससे पत्तियाँ सिकुड़कर पीली हो जाती हैं और सूख जाती हैं।
प्रकोप की स्थिति:
इसका अधिक प्रकोप उन क्षेत्रों में देखा गया है जहां गर्मी और नमी का मिश्रण अधिक होता है, जैसे दिल्ली, पंजाब और तराई क्षेत्र। पीला मोज़ाइक रोग के वाहक होने के कारण सफेद मक्खी का प्रकोप गंभीर आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है।
प्रबंधन:
- बीज उपचार के लिए थायमिथॉक्सम 30 एफएस @ 10 ग्राम प्रति किलो बीज या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस @ 1.25 मिली प्रति किलो बीज का प्रयोग करें।
- वयस्क सफेद मक्खी को रोकने के लिए पीले चिपचिपे जाल लगाएं।
- पीला मोज़ाइक रोग से संक्रमित पौधों को तुरंत नष्ट करें।
- बाद की अवस्था में बीटासायफ्लूथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड के प्रीमिक्स फॉर्मूलेशन का 350 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
हरा बदबूदार कीट / Green Stink Bug
यह कीट लगभग डेढ़ सेंटीमीटर का हरे रंग का रस चूसने वाला कीट होता है। मादा कीट सुनहरे रंग के 50–80 अंडों का समूह बनाती है।

अंडों से निकले शिशु कुछ समय तक समूह में रहते हुए पत्तियों का रस चूसते हैं। जैसे-जैसे वे बढ़ते हैं, वे फलियों तक पहुंचकर उनके दानों से रस चूसना शुरू कर देते हैं। इस किट जक वैज्ञानिक नाम (Nezara viridula) है
सोयाबीन मे हरा बदबूदार मत्कुण किट से नुकसान:
यह कीट मुख्य रूप से फसल की फली अवस्था में नुकसान करता है। ऊपर से देखने पर फली स्वस्थ दिखती है, लेकिन उसके भीतर के दाने सिकुड़कर खराब हो जाते हैं, जिससे उपज प्रभावित होती है।
प्रकोप की स्थिति:
इस कीट का अधिक प्रकोप विशेष रूप से उत्तरी भारत के क्षेत्रों में फसल की फलियों के समय पर देखा गया है। अनुसंधान के अनुसार यदि प्रत्येक पौधे पर औसतन एक वयस्क कीट हो, तो उपज में लगभग 80% तक की हानि हो सकती है।
प्रबंधन:
- अंडों से निकले हुए शिशुओं के झुंड को खेत से पहचानकर नष्ट करें।
- कीट नियंत्रण के लिए क्विनालफॉस @ 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या इंडॉक्साकार्ब @ 333 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
NOTE : कृपया अगले किट की जानकारी के लिए अगले पेज (भाग-3) पर जाएं आगे सोयाबीन के अन्य कुछ महत्वपूर्ण कीटों की जानकारी अभी बाकी है ⤵
NOTE : यदि आपने भाग एक के कीटों की जानकारी नहीं देखी तो पहले भाग-1 अवश्य देखें वहाँ कईं महत्वपूर्ण कीटों की जानकारी मौजूद है !
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
तंबाकू इल्ली को कैसे पहचाना जा सकता है?
इसकी पूर्ण विकसित इल्ली भूरे या हरे रंग की होती है, और प्रत्येक खंड के दोनों ओर काले तिकोने धब्बे इसकी विशेष पहचान हैं।
ग्राम पॉड बोरर फसल के किस हिस्से को नुकसान पहुंचाता है?
यह कीट मुख्य रूप से फलियों और developing दानों को खाता है, जिससे बीज नहीं बनते और उपज घट जाती है।
बिहार हेयरी कैटरपिलर और तंबाकू इल्ली में क्या अंतर है?
दिखने में दोनों मिलते-जुलते हैं, लेकिन बिहार हेयरी कैटरपिलर के शरीर पर लंबे, घने बाल होते हैं और यह सूखे क्षेत्रों में अधिक सक्रिय होता है।
लीफ फोल्डर किस प्रकार का नुकसान करता है?
यह पत्तियों को मोड़ कर अंदर ही हरे भाग को खुरचता है, जिससे पौधे की प्रकाश संश्लेषण क्षमता घटती है।
ग्रे वील (Gray Weevil) के फसल मे नुकसान क्या हैं?
यह कीट पत्तियों के किनारों को कुतरता है, और अधिक संख्या में होने पर फूलों व कलिकाओं को भी खा सकता है।
White fly या सफेद मक्खी का नियंत्रण कैसे करें?
बीजोपचार के साथ पीले चिपचिपे जाल का उपयोग करें, और आवश्यक होने पर इमिडाक्लोप्रिड युक्त स्प्रे का छिड़काव करें।
यहाँ हमारी टीम के अनुभवी लेखक आपके लिए रोजाना खेती किसानी, मंडी भाव और मौसम पूर्वानुमान आदि से संबंधित विश्वशनीय जानकारी लेकर आते रहते है,
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