नमस्कार किसान भाइयों “कृषिखबर24” मे आपका स्वागत है इस आर्टिकल मे हम बात करने वाले है सोयाबीन की नई उन्नत किस्मों के बारे मे ,
आजकल सोयाबीन की खेती करना आसान काम नहीं रह गया। मौसम का कोई भरोसा नहीं, लागत बढ़ती जा रही है, और मुनाफा घटता जा रहा है। ऐसे में किसान भाइयों को चाहिए कुछ ऐसी सोयाबीन की उन्नत किस्में जो कम लागत मे अच्छा प्रदर्शन करे और किसानों को सोयाबीन की खेती मे लाभ दिलाएँ
सोयाबीन की उन्नत किस्में क्यों हैं जरूरी ?
आज से 10-15 साल पहले जो किस्में चलती थीं, वो अब मौसम और बीमारियों के हिसाब से कमजोर पड़ जाती हैं और आसानी से बीमारियों की चपेट मे आ जाती है
ऐसे मे किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा शौध कर नई सोयाबीन की उन्नत किस्में को किसानों के लिए विकसित किया जाता है ताकि :
- सोयाबीन की पैदावार ज्यादा हो
- बीमारियों से बचाव हो
- कम पानी में या अधिक वर्ष मे भी अच्छा परिणाम दे
- और जल्दी तैयार हो जाए ताकि दूसरी फसल के लिए समय मिले
- जिन किसानों को अधिक अवधि वाली वैरायटी चाहिए उनके लिए भी की प्रकार की वैरायटी मौजूद है |
सोयाबीन की उन्नत किस्में
सोयाबीन की उन्नत किस्मों की अगर हम बात करे तो भारत में सोयाबीन की कई प्रकार की उन्नत किस्में मौजूद है लेकिन हर क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी अलग होती है, इसलिए यह जरूरी है कि किसान भाई अपने क्षेत्र के अनुसार सही किस्म चुनें। इससे ना सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि बीमारियों से भी बचाव होगा। इस आर्टिकल मे हम क्षेत्र अनुसार सोयाबीन की उन्नत किस्मों को जानेंगे जिससे भारत मे सोयाबीन की खेती करने वाले सभी किसान अपने क्षेत्र अनुसार सोयाबीन की उन्नत किस्में लगा सके |
मध्यक्षेत्र के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में
मध्यप्रदेश (MP), राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र, और उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में
अनुशंसित किस्में:
- JS 2172
- JS 24-33
- JS 23-03
- JS 20-69
- JS 23-09
- JS 22-12
- JS 22-16
- RVSM 2011-35
- NRC 142
- NRC 150
- NRC 165
- NRC 157
- MACS 1520
- RSC 10-46
- RSC 10-52
- MAUS 731
- Gujarat Soya 4
- MAUS 725
- Phule Durva (KDS 992)
- AMS 100-39 (PDKV Amba)
- AMS-MB-5-18 (Suvarn Soya)
इन किस्मों को विशेष रूप से सूखा सहन करने, झुलसा और पीला मोजैक रोग से बचाव, और अधिक उपज के लिए विकसित किया गया है।
पूर्वी क्षेत्र
छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, और उत्तर-पूर्वी पहाड़ी राज्य जैसे असम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में
अनुशंसित किस्में:
- RSC 10-71
- RSC 10-52
- Birsa Soya – 4
- MACS 1407
- MACS 1460
- NRC 128
- RSC 11-07
- RSC 10-46
इस क्षेत्र में नमी और अधिक वर्षा को ध्यान में रखते हुए किस्मों का चयन किया गया है, जो ज्यादा पानी और कीटों के प्रकोप में भी अच्छा प्रदर्शन करती हैं।
उत्तर मैदानी क्षेत्र
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के पूर्वी मैदानी इलाके, मैदानी उत्तराखंड, और पूर्वी बिहर के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में
अनुशंसित किस्में:
- Pusa Soybean 21
- NRC 149
- Pant Soybean 27
- PS 1670
- SL 1074
- SL 1028
- NRC 128
- Uttarakhand Black Soybean (Bhat 202 – उत्तराखंड के लिए)
- SL 979
- SL 955
- Pant Soybean 26 (PS 1572)
- PS 1368
- PS 24 (PS 1477)
- VLS 89
यह क्षेत्र ठंडा और समतल है, इसलिए यहाँ की किस्में मध्यम से लंबी अवधि वाली होती हैं और इन्हें रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ तैयार किया गया है।
ऊपर दी गई सभी सोयाबीन की उन्नत किस्में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अनुमोदित की गई किस्में है, जो कीटों एंव रोगों के प्रति सहनशील और अन्य किस्मों की तुलना मे अधिक रोग प्रतिरोधी किस्में है इन सभी किस्मों को क्षेत्र के अनुसार किसानों के लिए अनुसंसित किया गया है
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किसान भाइयों के लिए सुझाव
- बीज हमेशा प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें, जैसे कृषि विज्ञान केंद्र, राज्य बीज निगम या विश्वसनीय कंपनियाँ।
- बीज का अंकुरण जाँचे – फसल को खेत मे लगाने से पहले सोयाबीन का बीज अंकुरण अवश्य जांच लेवे ।
- बीजोपचार ज़रूर करें – इससे फसल की शुरुआत अच्छी होती है।
- बुवाई का सही समय पकड़ें – आमतौर पर जून के आखिरी हफ्ते से जुलाई की शुरुआत तक।
- खेती में तकनीकी अपनाएं – सिंचाई, उर्वरक, और कीटनाशकों का संतुलित प्रयोग करें।
- खरपतवार का विशेष ध्यान रखें – समय पर उचित खरपतवार नाशक या सोयाबीन की निंदाई, गुड़ाई करे या डोरा, कुलपा चलावे
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आसान बीज अंकुरण परीक्षण विधि
40-50 बीज लें और खराब बीज हटा दें।
कागज, बोरा या कॉटन का कपड़ा हल्का गीला करे और फैलाएं।
बीजों को कागज या कपड़े पर बराबर रखें।
अब इसे प्लास्टिक बैग या अन्य से ढक दें ताकि नमी बनी रहे।
इसे 20-25°C तापमान वाली जगह पर रखें।
हर दिन थोड़ा पानी छिड़कें, पर ज्यादा न भिगोएं बीज सड़ जाएगा।
4-7 दिन बाद अंकुरित बीज गिनें।
बीज अंकुरण प्रतिशत निकालें
अंकुरण प्रतिशत = (अंकुरित बीजों की संख्या ÷ कुल बीजों की संख्या) × 100
उदाहरण:
अगर आपने 50 बीज टेस्ट किए और 45 अंकुरित हुए, तो अंकुरण प्रतिशत होगा: (45/50)×100=90%
(45 ÷ 50) × 100 = 90%
अंकुरण प्रतिशत (%) | क्या मतलब है? |
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90% से ऊपर | बहुत अच्छे बीज – उपयोग के लिए उपयुक्त |
75% से 90% | ठीक-ठाक गुणवत्ता – चल सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें |
70% से नीचे | कमजोर बीज – बदलने की सलाह दी जाती है |