परंपरागत सोयाबीन की खेती से आगे बढ़ते हुए आज के किसान ऐसी किस्मों की ओर रुख कर रहे हैं जो न केवल अच्छा उत्पादन देती हो बल्कि पोषण से भरपूर हों और व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी लाभदायक हों। ऐसी ही एक उन्नत किस्म है स्वर्ण वसुंधरा, जिसे सब्जी सोयाबीन के रूप में विकसित किया गया है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), रांची द्वारा विकसित यह किस्म पोषण, उत्पादन और प्रोसेसिंग के लिहाज़ से बेहद उपयोगी सिद्ध हो रही है। देशभर के कई किसान इस किस्म को अपनाकर न केवल अधिक उपज प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि मूल्य संवर्धन (value addition) और प्रोसेसिंग के माध्यम से अपना स्वतंत्र कृषि व्यवसाय भी स्थापित कर रहे हैं।
इस लेख में हम स्वर्ण वसुंधरा सब्जी सोयाबीन किस्म की खेती, उसके आर्थिक पक्ष, प्रोसेसिंग तकनीक और किसान अनुभवों पर आधारित विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
स्वर्ण वसुंधरा सोयाबीन : एक विशेष सब्जी किस्म
स्वर्ण वसुंधरा एक विशेष रूप से विकसित की गई सब्जी सोयाबीन किस्म है, जो पारंपरिक अनाज सोयाबीन से कई मायनों में भिन्न है:
- फली की तुड़ाई उस अवस्था में होती है जब बीज फली की चौड़ाई का 80-90% भर चुके होते हैं।
- बीज आकार बड़ा, चमकीले हरे रंग का और उच्च शर्करा स्तर वाला होता है।
- पौधे में 75% से अधिक 2 और 3 बीज वाली फलियाँ होती हैं।
- फसल अवधि 80 से 85 दिन की होती है, और इस दौरान 3 बार तुड़ाई की जा सकती है।
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खेती की लागत और आय : व्यावसायिक गणना
स्वर्ण वसुंधरा की खेती का आर्थिक विश्लेषण (प्रति एकड़):
| विवरण | राशि (₹) | विवरण |
|---|---|---|
| खेती की लागत | ₹30,000/- | भूमि पट्टा, तैयारी, खाद, सिंचाई, कटाई आदि |
| हरी फली की उपज | 15 क्विंटल | प्रति एकड़ |
| बाजार दर | ₹200/- प्रति किग्रा | हरी फली |
| सकल आय | ₹3,00,000/- | 15 क्विंटल × ₹200/किग्रा |
| शुद्ध लाभ | ₹2,70,000/- | सकल आय – लागत |
ब्लांचिंग और फ्रीजिंग: मूल्य संवर्धन की प्रक्रिया
स्वर्ण वसुंधरा की हरी फलियों को अधिक समय तक सुरक्षित और विपणन योग्य बनाए रखने के लिए ब्लांचिंग प्रक्रिया अपनाई जाती है:
- फलियों को 90°C गर्म पानी में 5 मिनट तक रखा जाता है।
- फिर इन्हें 4°C ठंडे पानी में 5 मिनट के लिए डुबोया जाता है।
- सामान्य पानी में 5 मिनट तक रखने के बाद इन्हें -18°C पर डीप फ्रीजर में संग्रहित किया जाता है।
यह प्रक्रिया फलियों को 18 महीने तक ताज़ा बनाए रखने में सहायक होती है।

जमी हुई (Frozen Soybean) फलियों का विपणन बड़े शहरों तक
पुणे के किसान श्री चंद्रकांत देशमुख ने इस तकनीक का इस्तेमाल करके:
- 2 और 3 बीज वाली फलियों को ₹300/किग्रा में बेचना शुरू किया।
- एक बीज वाली फली के छिलके वाले बीजों को ब्लांच कर ₹400/किग्रा में बेचा, जिसे लोग नमक के साथ नाश्ते में पसंद कर रहे हैं।
- यह जमी हुई फलियाँ पुणे, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में बड़ी मात्रा में भेजी जा रही हैं।
टोफू निर्माण से अतिरिक्त आय
- 1 किलो सूखे बीज से 2.25 किलो टोफू तैयार होता है।
- 1 क्विंटल बीज से लगभग 225 किलो टोफू बनता है।
- उत्पादन लागत: ₹13,000
- बिक्री मूल्य: ₹300/किग्रा
- कुल बिक्री: ₹67,500
- शुद्ध लाभ: ₹54,500 प्रति क्विंटल बीज
स्वर्ण वसुंधरा से बना टोफू सफेद, मुलायम और बीन फ्लेवर रहित होता है, जिससे इसकी बाज़ार में अधिक माँग है।
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अन्य उत्पाद: एक फसल, कई संभावनाएँ
स्वर्ण वसुंधरा के सूखे बीजों और दानों से निम्नलिखित उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं:
- सोया दूध
- सोया दही
- सोया पनीर (टोफू)
- सोया छेना और मिठाइयाँ (जैसे गुलाब जामुन)
- सोया आइसक्रीम
- सत्तू (भुना हुआ आटा)
इन्हें 8 घंटे पानी में भिगोकर सीधा पोषणयुक्त आहार के रूप में भी खाया जा सकता है।
(पुणे, महाराष्ट्र) के कईं किसानों ने इस किस्म को अपनाकर प्रोसेसिंग और विपणन के जरिए अपनी आय को कई गुना बढ़ाया ।
निष्कर्ष:
स्वर्ण वसुंधरा सब्जी सोयाबीन सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि एक व्यवसायिक अवसर है। इसकी खेती से लेकर प्रोसेसिंग और विपणन तक हर चरण में किसान को बेहतर आमदनी का अवसर मिलता है। सही तकनीक, प्रशिक्षण और बाज़ार तक पहुँच के साथ, किसान इस एक किस्म के जरिए खेती को उद्योग में बदल सकते हैं।













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