सोयाबीन के प्रमुख हानिकारक किट एवं उनका प्रबंधन भाग-1

By Shankar Aanjana

Updated On:

Follow Us
सोयाबीन के प्रमुख हानिकारक किट

नमस्कार,
सभी किसान साँथियो का एक बार फिर स्वागत है आपके अपने विश्वशनीय कृषि पोर्टल ‘कृषिखबर24‘ पर इस लेख में हम जानेंगे सोयाबीन की फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों और उनके प्रभावी वैज्ञानिक प्रबंधन के बारे में |

भारत के कई राज्यों मे सोयाबीन की खेती की जाती है जिसमें से मध्यप्रदेश में सोयाबीन सबसे अधिक उगाने वाली खरीफ फसलों में से एक है और सबसे अधिक उत्पादन भी मध्य प्रदेश राज्य में ही होता है। मध्यप्रदेश को “सोया प्रदेश” के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह देश भर में सोयाबीन उत्पादन का लगभग 50% हिस्सा अकेला ही उत्पादित करता है. इसके बाद महाराष्ट्र का फिर राजस्थान का स्थान आता है

लेकिन सोयाबीन की खेती करना भी आसान नहीं है आय दिन सोयाबीन की फसलो में अलग अलग प्रकार के कीटों का प्रकोप बढ़ता रहता है जो सोयाबीन के उत्पादन को प्रभावित करते है इस आर्टिकल में हम उन्ही सभी कीटों और उनके नियंत्रण (प्रबंधन) के बारे में जानेंगे, निचे दी जा रही जानकारी कृषि विशेषज्ञो और IISR / ICAR के वैज्ञानिको द्वारा जारी की गई जानकारी और अनुशंसित स्रोतों के आधार पर है

सोयाबीन के प्रमुख हानिकारक किट

यहाँ हम सोयाबीन की फसल में लगने वाले सभी सोयाबीन के प्रमुख हानिकारक किट, उनसे होने वाले नुकसान और उनके प्रबंधन व नियंत्रण के बारे में जानेंगे, यहाँ कीटों के हिंदी अंग्रेजी व वैज्ञानिक नाम साझा कर रहें है आगे इन कीटों की विस्तृत जानकारी टेबल के निचे दी जा रही है कृपया पूरा आर्टिकल विस्तार से पढ़े:

सोयाबीन के प्रमुख हानिकारक किटवैज्ञानिक नामअंग्रेजी नाम
नीला भ्रंगCneorane spp.Blue Beetle
तना मक्खीMelanagromyza sojaeStem Fly
अलसी की इल्लीSpodoptera exigualinseed Caterpillar
पत्ति सुरंगकरAproaerema modicellaLeaf Miner
चक्र भ्रंग / रिंग कटरObereopsis brevisGirdle Beetle
अर्धकुण्डलक इल्लीRachiplusia spp.Semi-looper

चक्र भृंग / Girdle Beetle (रिंग कटर)

सोयाबीन की खेती में चक्र भृंग एक ऐसा कीट है जो फसल के लिए गुपचुप लेकिन घातक खतरा बनकर उभरता है। इसका वैज्ञानिक नाम Obereopsis brevis है इसे अंग्रेजी में Girdle Beetle कहते हैं, और आम बोलचाल भाषा में इसे रिंग कटर कहा जाता है यह कीट खासकर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे सोयाबीन उत्पादक राज्यों में अधिक पाया जाता है।

इसका वयस्क कीट नारंगी रंग का होता है जिसके पंखों का निचला भाग काला होता है। इसकी एंटीना (श्रृंगिकाएं) शरीर के बराबर लम्बी और पीछे की ओर मुड़ी होती हैं।

इसकी इल्ली पीली, पैरविहीन और शरीर पर हल्के उभार लिए होती है। पूरी तरह विकसित इल्ली लगभग 2 सेमी लंबी होती है।

चक्र भृंग से नुकसान:

  • मादा कीट पौधे के तने या शाखा पर दो वृत्त (रिंग) बनाती है और उनमें से एक के पास अंडा देती है। यही इस कीट की पहचान होती है — चक्रों के कारण पौधे का ऊपरी भाग मुरझा जाता है।
  • अंडे से निकलने वाली इल्ली धीरे-धीरे तने के अंदरूनी भाग को खाकर खोखला कर देती है, जिससे फलियाँ कम लगती हैं और उपज में भारी गिरावट आती है।
  • यह इल्ली तने को काटकर पौधे का भाग गिरा देती है, जिससे उस हिस्से की सारी फलियाँ नष्ट हो जाती हैं।
  • कुछ स्थितियों में यह इल्ली तने के एक हिस्से को काटकर उसी के भीतर छिपी रहती है और बाद में उसी में शंखी बन जाती है।
  • यदि जुलाई माह में इसका प्रकोप हो, तो नुकसान और भी अधिक होता है क्योंकि इस समय फसल की वृद्धि तेजी पर होती है। अनुमान है कि अगर चक्र भृंग 1% पौधों को काट दे, तो प्रति हेक्टेयर उपज में लगभग 5.5 किलो तक की गिरावट हो सकती है।

प्रबंधन और नियंत्रण:

  • खेत में पौधों की दूरी 0.4 मीटर बनाए रखें, ताकि संक्रमण कम फैले।
  • जैसे ही किसी पौधे में चक्र भृंग का लक्षण दिखे (पौधा मुरझा गया हो या चक्र दिखाई दे), उस हिस्से को नीचे से हटाकर नष्ट कर देना चाहिए।

रासायनिक नियंत्रण :

यदि प्रकोप लगातार बना रहे, तो निम्नलिखित अनुशंसित कीटनाशकों में से किसी एक का छिड़काव करें:

  • थायक्लोप्रिड 21.7% SC @ 750 मि.ली./हे.
  • ट्रायजोफॉस @ 800 मि.ली./हे.
  • प्रोफेनोफॉस 50 EC @ 1000 मि.ली./हे.
  • क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.5 SC @ 150 मि.ली./हे.
  • या संयोजन कीटनाशक: बीटासायफ्लूथ्रिन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% OD @ 350 मि.ली./हे.

नीला भ्रंग / Blue Beetle

नीला भ्रंग जो की इस किट का हिंदी नाम है इसे अंग्रेजी में Blue Beetle भी कहा जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम Cneorane sp. है, यह गहरे चमकीले नीले रंग का होता है

इसको हल्का स्पर्श करने पर ही यह भूमि पर गिर जाता है और ऐसा प्रतीत होता है जैसे इसमें जान ना हो

नीला भ्रंग / Blue Beetle

नीला भ्रंग / Blue Beetle से नुकसान :

  • यह किट पहले अंकुरित सोयाबीन के दलपत्रों को खाता रहता है, बाद में जब पौधे की वृद्धि होती है तब पौधे की ऊपरी वृद्धि वाले भाग को खा कर नष्ट कर देता है जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है |
  • अधिक आक्रमण होने पर खेत में पौधे की संख्यां घट जाती है
  • इस किट का आक्रमण प्रायः 20 से 25 दिनो तक रहता है

यह पाया गया है की बुवाई के बाद जब लगातार वर्षा होती रहती है और खेतो में अधिक नमी बनी रहती है तब इस किट का प्रकोप अधिक होता है

प्रबंधन :

  • खेतो के किनारे प्रकाश प्रपंच लगाने से इसके वयस्क पतंगे और किट उनमे कैद होकर मर जाते है
  • रासायनिक नियंत्रण : क्विनालफास 25 ई सी का फसल पर 1.5 ली प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें

तना मक्खी / stem fly

तना मक्खी, जिसे अंग्रेज़ी में Stem Fly कहा जाता है, और जिसका वैज्ञानिक नाम Melanagromyza sojae है — सोयाबीन की फसल में तना भीतर से खोखला करने वाला एक प्रमुख कीट है। यह दिखने में घरेलू मक्खी के जैसी होती है, लेकिन आकार में थोड़ी छोटी (लगभग 2 मिमी) और रंग में काली चमकदार होती है।

जब यह मक्खी पत्तियों या पोधे के भीतर अंडे देती है, तो उनसे निकलने वाली छोटी पीली इल्ली ही फसल को असली नुकसान पहुँचाती है। यह इल्ली पत्तियों की नसों के रास्ते तने के अंदर घुस जाती है और वहां सुरंग बनाते हुए तने को अंदर से खोखला कर देती है।

नुकसान की स्थिति

इस कीट का सबसे ज़्यादा प्रभाव अंकुरण के 7–10 दिनों के भीतर होता है, जब पौधा बहुत ही नाजुक अवस्था में होता है। ऐसे समय पर यदि हमला हो जाए, तो पूरा पौधा सूख सकता है।

फसल की बाद की अवस्था में भी इस कीट का असर जारी रहता है। हालांकि उस समय पौधा सूखता नहीं है, लेकिन तने में बनी सुरंगों के कारण फलियाँ कम बनती हैं और जो बनती हैं उनमें दानों का वजन कम होता है या कुछ फलियाँ बिल्कुल खाली रह जाती हैं।

वयस्क इल्ली तने में एक छोटा निकास छिद्र बनाती है और फिर शंखी अवस्था में चली जाती है। बाद में उसी छिद्र से मक्खी बाहर निकलकर अगली पीढ़ी के लिए जीवन चक्र शुरू कर देती है।

आर्थिक नुकसान

अनुसंधान के अनुसार, यदि तने में 26 प्रतिशत से अधिक सुरंगें पाई जाती हैं, तो इसे आर्थिक नुकसान की सीमा माना जाता है। संवेदनशील किस्मों में यह मक्खी 80–90 प्रतिशत पौधों को प्रभावित कर सकती है।

नियंत्रण और प्रबंधन

  1. बुवाई का समय बहुत महत्वपूर्ण है। जून के पहले पखवाड़े में बुवाई न करें क्योंकि इस समय प्रकोप अधिक होता है।
  2. बुवाई से पहले बीजों का थायमिथॉक्सम 30 एफएस @ 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें।
  3. फसल में प्रारंभिक अवस्था में यदि प्रकोप दिखाई दे, तो क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी @ 150 मि.ली./हे. का छिड़काव करें।

अलसी की इल्ली / Linseed Caterpillar

अलसी की इल्ली को वैज्ञानिक भाषा में Spodoptera exigua कहा जाता है, जिसे कुछ स्थानों पर “लिनसीड कैटरपिलर” के नाम से भी जाना जाता है। यह कीट विशेष रूप से सोयाबीन की शुरुआती अवस्था में फसल को हानि पहुँचाता है। इसकी इल्लियाँ आमतौर पर हरे, भूरे या कत्थई रंग की होती हैं। इनके शरीर के दोनों ओर हल्की पीली या हरी धारियाँ और पृष्ठ भाग पर एक गहरे भूरे रंग की मोटी लकीर पाई जाती है। वयस्क कीट भूरे रंग के होते हैं और उनके पंखों पर गोल और गुर्दे के आकार के निशान देखे जा सकते हैं।

नुकसान की पहचान:

  • यह कीट अधिकतर त्रिपत्री अवस्था (तीन पत्तियों वाली शुरुआती अवस्था) में नुकसान करता है।
  • यदि वर्षा कम हो या बोवनी देर से की गई हो, तो इसका प्रकोप अधिक देखा जाता है।
  • नवजात इल्लियाँ तीन पत्तियों को आपस में चिपका देती हैं और उनमें से हरा भाग खुरच कर खा जाती हैं, जिससे पत्तियाँ सफेद दिखने लगती हैं।
  • बड़ी इल्लियाँ पत्तियों पर अनियमित छेद बनाती हैं और पौधे की वृद्धि को नुकसान पहुँचाती हैं।
  • इसका असर पौधे की विकास दर पर पड़ता है, जिससे उपज में भी गिरावट आती है।

प्रबंधन के उपाय:

  • चूँकि इस कीट के वयस्क पतंगे रात में सक्रिय होते हैं और रोशनी की ओर आकर्षित होते हैं, इसलिए खेत के चारों ओर प्रकाश प्रपंच (Light Trap) लगाना फायदेमंद होता है। इससे पतंगे उसमें फँस जाते हैं और उनकी संख्या नियंत्रित की जा सकती है।
  • समय पर बोवनी और खेत में नमी बनाए रखना भी इसके प्रकोप को कम करने में मदद करता है।

लीफ माइनर / Leaf Miner

लीफ माइनर एक छोटा लेकिन काफी हानिकारक कीट है, जो सोयाबीन की पत्तियों को अंदर से खोखला करके नुकसान करता है। इसका वयस्क पतंगा छोटा और स्लेटी रंग का होता है। इसके ऊपरी पंखों की किनारियों पर सफेद रंग के धब्बे दिखाई देते हैं और निचले पंखों के किनारों पर बारीक बालों की एक पंक्ति होती है। इसकी इल्ली 4 से 6 मिमी लंबी, मटमैले भूरे रंग की होती है और अधिकतर फसल की प्रारंभिक अवस्था में सक्रिय होती है, खासकर महाराष्ट्र के दक्षिणी और कर्नाटक के उत्तरी हिस्सों में।

लीफ माइनर से नुकसान:

  • लीफ माइनर की इल्ली पत्तियों के अंदर, दोनों सतहों के बीच में रहकर हरे भाग को खाती है।
  • इससे पत्तियों में सफेद-सफेद फफोले जैसे धब्बे बन जाते हैं, जिन्हें ‘सुरंग’ कहा जाता है।
  • एक ही पत्ती में कई सुरंगें बनने से पत्तियाँ सिकुड़कर चोंच जैसी दिखने लगती हैं।
  • प्रकोप ज़्यादा हो जाए तो पौधे झुलसे हुए से लगते हैं और फसल की वृद्धि रुक जाती है।
  • यह इल्ली पत्ती के अंदर ही शंखी में परिवर्तित होती है, जिससे इसका नियंत्रण कठिन हो सकता है।

नियंत्रण एवं प्रबंधन:

  • लीफ माइनर के वयस्क पतंगे रात में सक्रिय होते हैं और रोशनी की ओर आकर्षित होते हैं।
  • इस स्वभाव का फायदा उठाने के लिए खेत की मेड़ों पर प्रकाश प्रपंच (Light Trap) लगाना एक अच्छा उपाय है। इससे पतंगे फँसकर मर जाते हैं और कीट की संख्या घटती है।

अर्धकुण्डलक इल्ली / Semilooper

सोयाबीन की पत्तियों को खाकर सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले कीटों में अर्धकुण्डलक इल्ली (Semilooper) प्रमुख है। यह कीट कई जातियों की इल्लियों के रूप में दिखाई देता है — जैसे क्रायसोडेक्सिस एक्युटा, डायक्रीसिया ऑरिचैल्सिया, गेसोनिया गेम्मा, और मोसिस अनडाटा। इनकी शारीरिक विशेषताएँ भले ही थोड़ी अलग हो सकती हैं, पर नुकसान का तरीका लगभग एक जैसा होता है।

पहचान कैसे करें?

  • अधिकतर अर्धकुण्डलक इल्लियाँ हरे रंग की होती हैं, जिनके शरीर पर लंबवत पीली और किनारों पर सफेद धारियाँ होती हैं।
  • कई बार यह इल्ली भूरे या नारंगी रंग की भी हो सकती है।
  • इन्हें छूने पर ये तेजी से तड़पती हुई ज़मीन पर गिर जाती हैं — जो इनका एक खास व्यवहार है।
  • वयस्क पतंगे मध्यम आकार के भूरे रंग के होते हैं, जिनके पंखों पर विशिष्ट चिह्न पाए जाते हैं, जैसे तिकोना सुनहरा धब्बा या आठ जैसे जुड़े हुए चकत्ते।

नुकसान किस तरह होता है:

  • शुरुआत में ये इल्लियाँ पत्तियों पर छोटे-छोटे छेद बनाकर खाती हैं।
  • जब ये बड़ी हो जाती हैं, तो पत्तियाँ पूरी तरह झिंझरी बन जाती हैं, सिर्फ शिराएँ ही बचती हैं।
  • अत्यधिक प्रकोप की स्थिति में ये कलियों, फूलों और फलियों को भी नहीं छोड़तीं, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में भारी गिरावट आती है।
  • सामान्यतः इसका प्रकोप रिमझिम बारिश वाले मौसम में अधिक होता है, जबकि मोसिस अनडाटा जैसी जातियाँ कम वर्षा या सूखे में सक्रिय होती हैं।

किट प्रबंधन (ICAR/IARI द्वारा अनुशंसित):

  • फसल दूरी: खेत में 0.4 मीटर पौधों की दूरी बनाए रखें ताकि हवा का आवागमन ठीक हो और आर्द्रता कम रहे।
  • जैविक नियंत्रण: प्रकोप की शुरुआत में बैसिलस थुरिंजिएंसिस (Bt) या ब्युवेरिया बैसिआना जैसे जैव कीटनाशकों का उपयोग करें @ 1.0 ली./हे.

रासायनिक नियंत्रण:

यदि इल्ली बड़ी हो चुकी हो तो नीचे दिए गए रसायनों में से किसी एक का छिड़काव करें (500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर):

  • बीटासायफ्लूथ्रिन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% OD @ 350 मि.ली.
  • क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.5% SC @ 150 मि.ग्रा.
  • फ्लूबैंडियामाइड 39.35% SC @ 500 मि.ली.
  • प्रोफेनोफॉस 50 EC @ 1000 मि.ली.
  • क्विनालफॉस 25 EC @ 1.5 ली.
  • इंडॉक्साकार्ब @ 333 मि.ली.

इनमें से कोई भी उपाय 10–15 दिन के अंतराल पर दोहराया जा सकता है, यदि प्रकोप जारी रहे।

NOTE : कृपया अगले किट की जानकारी के लिए अगले पेज (भाग-2) पर जाएं आगे सोयाबीन के महत्वपूर्ण कीटों की जानकारी अभी बाकी है ⤵

पढे भाग – 2

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

  1. नीला भ्रंग (Blue Beetle) से सोयाबीन की फसल को कैसे बचाया जा सकता है?

    नीला भ्रंग फसल के अंकुरण के समय दलपत्रों और वृद्धि बिंदुओं को खाकर नुकसान करता है। इसे रोकने के लिए खेत की मेड़ों पर प्रकाश प्रपंच लगाएं और जरूरत पड़ने पर क्विनालफॉस 25 EC @ 1.5 ली./हे. का छिड़काव करें।

  2. तना मक्खी (Stem Fly) का प्रकोप किस समय सबसे ज्यादा होता है?

    तना मक्खी का प्रकोप सोयाबीन के अंकुरण के 7–10 दिन के भीतर ज्यादा होता है। इसकी इल्ली तने के अंदर सुरंग बनाकर पौधे को सूखा देती है। थायमिथॉक्सम से बीजोपचार और बाद में क्लोरएंट्रानिलिप्रोल का छिड़काव इसका कारगर समाधान है।

  3. अलसी की इल्ली का असर कब और कैसे दिखता है?

    यह कीट फसल की प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों को खुरचकर सफेद बना देता है। बाद में ये पौधे के विकास बिंदु को भी खा जाती हैं। प्रकोप अधिक होने पर प्रकाश प्रपंच, या जैविक एवं रासायनिक कीटनाशकों से नियंत्रण करना चाहिए।

  4. चक्र भ्रंग (Girdle Beetle) की पहचान कैसे करें और नुकसान से कैसे बचें?

    यह नारंगी रंग का कीट तने पर दो चक्र बनाकर अंडे देता है, जिससे ऊपरी हिस्सा मुरझा जाता है। समय रहते प्रकोपग्रस्त हिस्सों को काटकर हटा देना और जरूरत पड़ने पर थायक्लोप्रिड या ट्रायजोफॉस का छिड़काव करना लाभकारी होता है।

  5. अर्धकुण्डलक इल्ली से नुकसान और इसका नियंत्रण कैसे करें?

    ये इल्ली पत्तियों को छेदकर, फूलों और फलियों तक नुकसान पहुंचाती है। शुरू में बैसिलस थुरिंजिएंसिस जैसे जैव कीटनाशक से नियंत्रण करें। बाद में जरूरत होने पर फ्लूबैंडियामाइड या क्लोरएंट्रानिलिप्रोल जैसे कीटनाशकों से छिड़काव करें।

NOTE : कृपया अगले किट की जानकारी के लिए अगले पेज (भाग-2) पर जाएं आगे सोयाबीन के कईं महत्वपूर्ण कीटों की जानकारी अभी बाकी है ⤵

आगे भाग – 2 पर जाएं

यहाँ हमारी टीम के अनुभवी लेखक आपके लिए रोजाना खेती किसानी, मंडी भाव और मौसम पूर्वानुमान आदि से संबंधित विश्वशनीय जानकारी लेकर आते रहते है,

इसी प्रकार की विश्वशनीय जानकारी को रोजाना सबसे पहले अपने मोबाइल पर पाने के लिए अभी जुड़े हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप (whatsapp group) पर

WhatsApp पर जुड़े

ग्रुप में जुड़ने के लिए यहाँ क्लीक करे

2 thoughts on “सोयाबीन के प्रमुख हानिकारक किट एवं उनका प्रबंधन भाग-1”

Leave a Comment