HI 8830 gehun (पूसा कीर्ति) – गेहूं की नई उन्नत किस्म
HI 8830 (पूसा कीर्ति) गेहूं की एक नई किस्म है, जो अधिक उत्पादन, बेहतरीन गुणवत्ता और रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ आती है।
गेहूं की यह नई किस्म Hi 8830 जिसे एच आई 8830 gehu पूसा कीर्ति के नाम से भी जाना जाता है इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के इंदौर स्थित क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित किया गया है, पूसा Hi 8830 pusa kirti एक ड्यूरम कठिया गेहूं की किस्म है इन दिनों किसानों के बीच यह किस्म काफी चर्चा मे है ।
मध्य प्रदेश में ड्यूरम गेहूं का क्षेत्रफल पांच से बढ़कर 20 फीसदी तक पँहुच गया है इस समय किसानो के बीच सबसे ज्यादा प्रयोग मे लाने वाली ड्यू9रम गेहूं की किस्म पूसा तेजस Hi 8759,पौषण Hi 8663 और Hi 8713 पूसा मंगल है, ये किस्में अच्छा उत्पादन देने वाली गेहूं की किस्में है जिन्होंने किसानों के खेतों मे अच्छा प्रदर्शन किया व उच्च उत्पादन दिया है ।
हाल ही मे गेहूं की नई किस्म Hi 8830 gehun एच आई 8830 पूसा कीर्ति विकसित की गई है जिसे अन्य ड्यूरम किस्मों जैसे पूसा तेजस , पूसा मंगल, पौषण आदि अन्य किस्मों के विकल्प के तौर पर किसानों के बीच लाया जा रहा है
🌾 प्रमुख विशेषताएँ
- उच्च उपज: पारंपरिक किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन।
- जलवायु अनुकूलन: विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन।
- रोग प्रतिरोधक: पीला रतुआ, काला रतुआ और भूरे रतुआ से बचाव।
- बेहतर गुणवत्ता: उच्च प्रोटीन और बेहतरीन ग्लूटेन सामग्री।
- जल्दी पकने वाली: 135-140 दिनों में फसल तैयार।
🌱 बुवाई एवं उर्वरक प्रबंधन
बीज दर: 120-125 किग्रा/हेक्टेयर
बुवाई का समय: नवंबर के पहले सप्ताह से दिसंबर के पहले सप्ताह तक
सिंचाई: 4-5 सिंचाइयाँ आवश्यक
💰 अधिक मुनाफे के लिए सुझाव
- समय पर खरपतवार नियंत्रण करें।
- संतुलित खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करें।
- फसल की समय पर कटाई करें।
📍HI 8830 का बीज कहाँ से प्राप्त करें?
पूसा कीर्ति (HI 8830) का प्रमाणित बीज कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), ICAR संस्थानों, सरकारी बीज निगमों और अधिकृत विक्रेताओं से प्राप्त करें।
Hi 8830 एच आई 8830 पूसा कीर्ति का उत्पादन :
पूसा कीर्ति Hi 8830 gehun गेहूं की किस्म को कम पानी वाले क्षेत्रों मे भी उगाया जा सकता है, व औसतन 40 क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है साथ ही पुसा कीर्ति को समय से सिंचित अवस्था मे बुआई करने पर इसका अधिकतम उत्पादन 60 से 65.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक लिया जा सकता है ।
अन्य विशेषताएं
हमारे यहाँ मे प्रकृति ने कठिया (ड्यूरम) गेहूँ के उत्पादन हेतु अत्यंत आदर्श वातावरण एवं पस्थितियाँ प्राकृतिक रूप से प्रदान की है जिसके कारण कठिया गेहूँ की इस किस्म की क्वालिटी अंतर्राष्टीय स्तर की व उत्पादन अधिकतम प्राप्त होता है जिससे इस | किस्म की बड़ी स्थानीय माँग एवं निर्यात की असीम संभावनाएँ बनी हुई है ।
इस किस्म का पौधा मध्यम ऊँचाई का ऊँचाई लगभग 90 से. मी. पत्तियाँ चौड़ी, पर्ण कोण, सीधी सतह मोमी, मजबूत बालियाँ सफेद, बालियों पर रूए नहीं, काड़ी कड़क, ऊँचाई अधिक नहीं व जबरदस्त टिलरिंग होने के कारण इसके आड़ा पड़ने (लाजिंग) की समस्या नहीं , पौधा घना, फैलावदार व अधिक कुचे वाले होने के कारण किसानों को भूसा भी अधिक प्राप्त होता है, भूसे के भाव भी बहुत अच्छे मिलने के कारण किसान को लगने वाली गेहूँ की लागत का अधिकतम हिस्सा भूसे की आय में निकल जाता है।
बिमारियों के प्रति प्रतिरोधकता व पाले/ठंड के प्रति सहनशीलता के सभी गुण इस किस्म में अन्य उन्नत ड्यूरम किस्मों की | तरह स्वाभाविक रूप से देखे गए है ।
गेहूँ की यह अत्यंत उन्नत एडवांस जनरेशन की यह ड्यूरम किस्म एच. आई. 8830 ( पूसा कीर्ति) अपने बहु आयामी गुणों के कारण अतिशीघ्र अपना एक विशिष्ट उच्च स्थान अतिशीघ्र बना लेगी तथा किसानों के लिये कठिया गेहूँ की खेती की एक नई परम्परा बनाते हुए उनके लिये वरदान सिद्ध होगी ।
गेहूं की अन्य नई किस्म 2024-25
- HI – 8826 पूसा पौष्टिक
- DBW – 377 करण बोल्ड
- HD – 3385
- Hi 1650
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